पटना, बिहार राज्य की राजधानी और एक ऐतिहासिक नगर है, जिसका इतिहास लगभग 3000 वर्षों पुराना है। यह शहर भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण शहरों में से एक माना जाता है। पटना का ऐतिहासिक नाम पाटलिपुत्र था, और यह मौर्य साम्राज्य की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध था।
प्रारंभिक इतिहास (Early History)
पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र था, जो संस्कृत शब्द “पाटलि” और “पुर” से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है “कमल का शहर”। पाटलिपुत्र प्राचीन भारतीय सभ्यता का एक प्रमुख केन्द्र था और यह गंगा नदी के किनारे स्थित था, जो इसे व्यापार और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए आदर्श स्थान बनाता था।
यह शहर गंगा, सोन और पुनपुन नदियों के संगम पर स्थित था, और प्राचीन काल में यह उत्तर भारत का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और सांस्कृतिक केन्द्र था। पाटलिपुत्र मौर्य साम्राज्य के समय में विशेष रूप से प्रसिद्ध हुआ, जब सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य ने इसे अपनी राजधानी बनाया। इसके बाद, पाटलिपुत्र गुप्त साम्राज्य, मगध साम्राज्य, और शुंग वंश के समय में भी महत्वपूर्ण रहा।
मौर्य काल (Maurya Period)
पटना का इतिहास मौर्य साम्राज्य के समय से जुड़ा हुआ है, विशेषकर सम्राट अशोक के शासनकाल से। सम्राट अशोक ने पाटलिपुत्र को एक महान नगर में परिवर्तित किया और यहां बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ। पाटलिपुत्र के विशाल महल, बौद्ध स्तूप, और अन्य धर्मस्थल प्रसिद्ध थे। यह शहर मौर्य साम्राज्य का प्रशासनिक और सांस्कृतिक केन्द्र था।
गुप्त काल (Gupta Period)
गुप्त साम्राज्य के दौरान, पटना और भी समृद्ध हुआ। यह काल भारतीय इतिहास का “स्वर्ण युग” माना जाता है, जिसमें कला, साहित्य, विज्ञान, और गणित में अभूतपूर्व विकास हुआ। यहां के विश्वविद्यालय, जैसे नालंदा और विक्रमशिला, पूरे विश्व में प्रसिद्ध थे। हालांकि, इस समय के बाद पाटलिपुत्र में राजनीतिक अस्थिरता और आक्रमणों का सामना करना पड़ा।
मध्यकालीन इतिहास (Medieval Period)
मध्यकाल में पटना पर कई मुस्लिम शासकों का शासन रहा। अफगान, तुर्क और मुग़ल साम्राज्यों के दौरान यह क्षेत्र कई बार संघर्षों और सत्ता संघर्षों का गवाह बना। मुग़ल सम्राट अकबर के समय में पटना को एक प्रमुख व्यापारिक केन्द्र के रूप में जाना गया। मुग़ल शासन के दौरान यह शहर आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बना।